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लेखनी प्रतियोगिता -30-May-2022

प्रभु जी द्वार तुम्हारे आया

मुझको अपनी शरण लगा दो
मुझको अपना दास बनाकर
मेरे सोए भाग्य जगा दो।

सुंदर जीवन तुमसे पाया
सारा लेकिन व्यर्थ गंवाया
धन, संबंधी, समय छूट गए
कुछ भी मेरे हाथ न आया।
मैं हूँ नाथ तुम्हारा दोषी
मेरा ये सन्ताप मिटा दो।

लोभ की सारी सीमा लांघी
मद की खूब मचाई आंधी
काम क्रोध में डूब के मैंने
पाप की भारी गठरी बांधी
पाप का दंड तो सहना होगा
मन से पाप का बोध मिटा दो।


कोई और नहीं है इच्छा
मांगूँ केवल इतनी भिक्षा
राह तुम्हारी कभी न छोडूं
ऐसी मुझको दे दो शिक्षा
मेरे हाथ नहीं कुछ स्वामी
मुझको अपना हाथ थमा दो।





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16 Comments

Shnaya

31-May-2022 09:23 PM

शानदार प्रस्तुति 👌

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Anshumandwivedi426

31-May-2022 10:26 PM

सहृदय धन्यवाद

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Shrishti pandey

31-May-2022 09:26 AM

Nice

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Anshumandwivedi426

31-May-2022 10:26 PM

Thanks alot

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Abhinav ji

31-May-2022 08:44 AM

Nice👍

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Anshumandwivedi426

31-May-2022 10:25 PM

Thanks alot

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